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हुई ये बड़ी चर्चाएं
New Delhi. नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज इटली के अपुलिया में जी7 शिखर सम्मेलन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऊर्जा, अफ्रीका और भूमध्य सागर पर आउटरीच सत्र को संबोधित किया। उन्होंने समूह को इसकी 50वीं वर्षगांठ की बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि मानव जाति के इतिहास में सबसे बड़े लोकतांत्रिक अभ्यास में फिर से चुने जाने के बाद शिखर सम्मेलन में भाग लेना उनके लिए बहुत संतोष की बात है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी को सफल बनाने के लिए इसे मानव-केंद्रित दृष्टिकोण से आगे बढ़ाया जाना चाहिए। इस संदर्भ में, उन्होंने सार्वजनिक सेवा वितरण के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में भारत की सफलता को साझा किया।
Spoke at the G7 Outreach Session on AI and Energy, Africa and Mediterranean. Highlighted a wide range of subjects, notably, the wide scale usage of technology for human progress. The rise of technology in various aspects of human life has also reaffirmed the importance of cyber… pic.twitter.com/lafxE4aJos
— Narendra Modi (@narendramodi) June 14, 2024
"सभी के लिए एआई" पर आधारित भारत के एआई मिशन की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि इस तकनीक का उद्देश्य सभी की प्रगति और कल्याण को बढ़ावा देना होना चाहिए। उन्होंने रेखांकित किया कि इस व्यापक उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, भारत एआई के लिए वैश्विक भागीदारी के संस्थापक सदस्य के रूप में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा दे रहा है।
प्रधानमंत्री ने भारत के ऊर्जा संक्रमण मार्ग पर विस्तार से बताया और कहा कि इसका दृष्टिकोण उपलब्धता, पहुंच, सामर्थ्य और स्वीकार्यता पर आधारित है। उन्होंने उल्लेख किया कि भारत 2070 तक नेट जीरो के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में काम कर रहा है। भारत के मिशन लाइफ [पर्यावरण के लिए जीवनशैली] का जिक्र करते हुए उन्होंने वैश्विक समुदाय से विश्व पर्यावरण दिवस पर उनके द्वारा शुरू किए गए वृक्षारोपण अभियान - "प्लांट4मदर" [एक पेड़ मां के नाम] में शामिल होने और इसे व्यक्तिगत स्पर्श और वैश्विक जिम्मेदारी के साथ एक जन आंदोलन बनाने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने वैश्विक दक्षिण, विशेष रूप से अफ्रीका की चिंताओं को प्राथमिकता देने का आह्वान किया। उन्होंने याद दिलाया कि यह भारत के लिए सम्मान की बात है कि एयू को उसकी अध्यक्षता में जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में स्वीकार किया गया।
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